shayari
कभी दिमाग, कभी दिल
कभी नजर में रहो
ये सब तुम्हारे ही घर हैं
किसी भी घर में रहो।
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आँखो की चमक और पलकों की शान हो तुम,
चेहरे की हँसी और मुस्कान हो तुम,
इस दिल की धड़कन और मेरी गुमान हो तुम,
कैसे बताऊँ मेरी जान हो तुम
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कुछ हदें हैं मेरी कुछ हदें हैं तेरी..!!
लेकिन दायरों में भी इश्क़ होता है
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इन नजरों में वफ़ा के उजाले कई थे,
मोहब्बत के दर्द को समझने वाले कई थे..
आपकी अदाएं कुछ इस तरह पसंद आई,
वरना तेरे शहर में दिलवाले भी कई और थे
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छुपा लूं तुझको अपनी बाँहों में इस तरह,
कि हवा भी गुजरने की इजाज़त मांगे,
मदहोश हो जाऊं तेरे प्यार में इस तरह,
कि होश भी आने की इजाज़त मांगे
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कोई नफरत कर बैठा मुझसे,
और कोई प्यार कर बैठा है,
किसी को यकीन नहीं मेरी
और कोई ऐतबार कर बैठा है,
कितनी अजीब है ये दुनिया,
कोई मिलना नहीं चाहता
और कोई इन्तजार कर बैठा है
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सुबह में देखूं शाम में देखूं
तेरा प्यारा सा चेहरा मैं चाँद में देखूं
तेरे हुस्न की क्या तारीफ करूं मैं
तेरा चेहरा मैं सारे जहां में देखूँ
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गुज़र गया वो वक़्त
जब तेरी हसरत थी मुझको,
अब तू खुदा भी बन जाए
तो भी तेरा सजदा ना करू
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मोहब्बत में नशा तेरे इंतजार का है
इस दिल में नशा तेरे दीदार का है
ना होश में ला मुझे मदहोश ही रहने दे,
मेरे इन नैनो में नशा तेरे प्यार का है
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इस क़दर बेताब हूँ तेरे इंतजार को
तूने तो कुछ भी न समझा मेरे इस बेइंतहां प्यार को,
ऐ मेरे मोहब्बत तेरी हरकतें भी लाहजवाब है,
न तू मेरी हुई न अपने किसी यार को
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तेरी खैरियत का ही जिक्र रहता है दुआओं में,
मसला सिर्फ मोहब्बत का ही नही फिक्र का भी है
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इन आँखों को जब तेरा दीदार हो जाता है…
दिन कोई भी हो लेकिन त्यौहार हो जाता है
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मेरी आंखों के ख्वाब, दिल के अरमान हो तुम,
तुम से ही तो मै हूं, मेरी पहचान हो तुम,
मैं जमीन हूं अगर तो मेरे आसमान हो तुम,
सच मानो मेरे लिए तो सारा जहान हो तुम।
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अमल से भी मांगा वफा से भी मांगा,
तुझे मैंने तेरी रज़ा से भी मांगा,
न कुछ हो सका तो दुआ से भी मांगा,
कसम है खुदा की खुदा से भी मांगा।
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जब किसी की रूह में उतर जाता है मोहब्बत का समंदर,
तब लोग जिंदा तो होते हैं लेकिन किसी और के अंदर
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ये मोहब्बत है जनाब कितनी भी
तकलीफ दे मगर सुकून भी उसी
की बाहों में मिलता है
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अगर अपनी किस्मत लिखने का
जरा सा भी हक हो मुझे,
तो अपने नाम के साथ तुझे हर बार लिखूं
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नशा जो चढ़ा मेरा उतार नही पाओगी,
मोहब्बत को कभी मेरी मार नही पाओगी,
आशिक मेरी जान फिर भी सुधर जाते हैं,
शायर जो बिगड़ा सुधार नही पाओगी
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होठों ने तेरा जिक्र न किया,
पर तेरी आंखे मुझे पैगाम देती हैं,,
हम तो शायर हैं दुनिया से तुझे छुपाएं कैसे,
मेरी हर शायरी तेरा ही नाम लेती है.
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दिल उदास हो तो बात कर लेना,
दिल चाहे तो मुलाकात कर लेना,
हम रहते हैं आपके दिल में,
वक्त मिले तो तलाश कर लेना
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बे इख्तियार मेरी जिंदगी का तुम्हें इख्तियार दिया था,
तुम भूल जाओ मगर मुझे याद है मैंने तुम्हें प्यार किया था.
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आईना देखोगे तो मेरी याद आयेगी,
साथ गुजारी वो मुलाकात याद आयेगी,
पल भर के लिए वक्त ठहर जायेगा,
जब आपको मेरी कोई बात याद आयेगी
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ना मैं तुम्हारी आदत,
ना मैं तुम्हारी जरुरत होना चाहूं,
बस जिंदगी की भाग दौड़ में कभी जो याद आऊं,
मुस्कुराहट की तेरी वजह होना चाहूं
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ये याद है तुम्हारी या यादों में तुम हो,
ये ख्वाब हैं तुम्हारे या ख्वाबों में तुम हो,
हम नही जानते हमें बस इतना बता दो,
हम जान हैं तुम्हारी या हमारी जान तुम हो
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मुमकिन नहीं है किसी और से दिल लगना,
तुमसे प्यार ही इतनी शिद्दत से करते हैं
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वो मेरे हाल पर रोया भी मुस्कुराया भी,
अजीब शख्स है अपना भी है पराया भी.
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याद नही कुछ पर याद जैसा कुछ तो है,
दरम्यान तेरे मेरे प्यार कैसा कुछ तो है
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काश मैं पानी होता और तू प्यास होती,
न मैं खफा होता और न तू उदास होती,
जब भी तुम मेरी निगाहों से दूर होते,
मैं तेरा नाम लेता और तू मेरे पास होती
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मीठी मीठी यादें पलकों पे सजा लेना,
एक साथ गुजारे पल को दिल में बसा लेना,
नजर न आऊं हकीकत में अगर,
मुस्कुराकर मुझे सपनो में बुला लेना